बहुत दिनों से दिल की तमन्ना थी बनारस दर्शन की जो आखिर पूरी हो ही गई। बनारस के स्टेशन पर तो कई बार जाना हुआ पर बनारस घूमना पहली बार हुआ। मेरी इस यात्रा में मेरी मां भी मेरे साथ थी। हम दोनों ही शहर के लिए अंजान थे पर इस शहर में अजीब सा नशा है जो आपको पल में अपना बना लेगा। बनारस की सड़कों की भीड़ और शोर शराबे के बीच भी आपको यहां एक अद्भुत शांति का अनुभव होगा। दुनिया की प्राचीनतम नगरीय सभ्यताओं में से एक होने के बावजूद यह शहर मौजूदा समय की आधुनिकता के साथ रेस लगाता नज़र आता है। बनारस एक शहर नहीं बल्कि एक सुरूर है जो धीरे-धीरे चढ़ता है। यहां के घाट की सीढ़ियों पर बैठ कर सुबह की पहली चाय की चुस्कियों के साथ उगते सूर्य की खूबसूरती को निहारना आपकी जिंदगी का सबसे अनमोल पल बन सकता है। नाव में बैठ कर गंगा नदी की अविरल धारा के साथ बहना और दूर क्षितिज में डूबते सूर्य की फैली लालिमा को निहारना एक स्वप्न सा प्रतीत होगा। सांध्य बेला में गंगा घाट पर गूंजती गंगा आरती की धुन आपको नाचने पर मजबूर कर देगी। गंगा किनारे बैठकर जब आप यहां की शांति को महसूस करेगें तो यह आपके भीतर तक उतर जाएगी। हाजारो साल पूरानी यह नगरी अपनी पहचान के साथ आज भी मुस्कुरा रही है और मानो यहां आने वाले हर शख्स का बाहें फैला कर उन के स्वागत में लगी है। आप भी समय निकाल कर एक बार बनारस जरूर जाए यकीन मानिए इस शहर से मिली यादें आप उम्र भर भूल नहीं पाएगें
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