Top 5 Best Novels नए दौर के 5 बेहतरीन उपन्यास



किताबें अपने वक्त का आईना होती हैं और शायद इसी लिए जब भी हमें गुजरे हुए समय को  समझना हो तो उस दौर की किताबें पढ़नी चाहिए | किताबें उस तिजोरी की तरह होती हैं जहां समय  थम कर सदा के लिए कैद हो जाता है | यू तो हिंदी साहित्य में सदियों से एक से बढ़ कर एक साहित्यकार पैदा होते रहें हैं जिसे आप और हम पढ़ते रहें हैं | पर आज के दौर में भी पहुत से नए साहित्यकार और लेखक हिंदी साहित्य से जुड़ रहें हैं जिसे आज की युवा पीढ़ी को जरूर पढ़ना चाहिए | बदलते समाज का असर अब हमारी लेखन शैली पर भी पड़ा है और इस बदलाव को महसूस करने के लिए आपको युवा लेखकों से जुड़ना होगा | अगर आप आज के समाज से जुडी कहानियों को पढ़ना चाहते हैं तो इन 5  उपन्यासों  को जरूर पढ़ें |


अक्टूबर जंक्शन - दिव्य प्रकाश दुबे

चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं।
एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया। वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता।
हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं। एक जो हम हर दिन जीते हैं। दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है। ‘अक्टूबर जंक्शन’ चित्रा और सुदीप की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है।

बीएचयू कैम्पस की 'बनारस टॉकीज़’ - सत्य व्यास

बनारस टॉकीज़ साल 2015 का सबसे ज़्यादा चर्चित हिंदी उपन्यास है। साल 2016 और 2017 में भी ख़ूब पढ़े जाने का बल बनाए हुए है। सत्य व्यास का लिखा यह उपन्यास काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्रावासीय जीवन का जो रेखाचित्र खींचता है वो हिंदी उपन्यास लेखन में पहले कभी देखने को नहीं मिला। इस किताब की भाषा में वही औघड़पन तथा बनरासपन है जो इस शहर के जीवन में। सत्य व्यास 'नई वाली हिंदी’ के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक हैं।
चौरासी- सत्य व्यास

‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।

तेरे शहर में - सारिका कालरा

अपने घर के ए.सी. रूम में सोफे पर बैठे भारतीय सेना को विषम परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी करते देख हम अक्सर उसकी सराहना करते हैं या उनके साथ कुछ अनहोनी होने पर हल्का-सा दुख व्यक्त कर रह जाते हैं। टी. वी. चैनलों पर इस विषय पर होने वाली बहसें कुछ समय के लिए उत्तेजित तो करती हैं पर परिणाम कुछ नहीं निकलता। इस उपन्यास में जानें उन्हीं जवानों के जीवन और उनके परिवार के बारे में। आतंकवाद किस तरह और किन रूपों में घातक हो सकता है और मानवीयता किस कदर आदर्श के उच्च सोपानों पर पहुँचती है इसकी झलक भी यह उपन्यास देता है। प्रेम के झीने आवरण में लिपटी एक संजीदा कहानी शायद आपको छू जाए।

यूपी 65 - निखिल सचान

बेस्ट सेलिंग किताबों ‘नमक स्वादानुसार’ और ‘ज़िंदगी आइस पाइस’ के लेखक निखिल सचान का पहला उपन्यास। उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनती है। यह हिंदी में बिलकुल नये तेवर का उपन्यास है, जो आपको अपनी ज़िंदगी के सबसे सुंदर सालों में वापस ले जाएगा, आपको आपके भीतर के बनारस से मिलाएगा। इस उम्मीद में कि बनारस हम सबके भीतर बना रहे, हम अलमस्त, औघड़ रहें और बे-इंतहा हँस सकें।

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