Haseena Parkar Ki Asli Kahani

हसीना पारकर की असली कहानी 

hasina parkar ki asli kahani
नागपाडा के गॉर्डोन हाउस में रहने वाली, 51 वर्षीय हसीना पारकर को लोग ‘आपा’ और उनके अपने लोग उन्हें बड़ी बहन कहकर बुलाते थे, उनके तीन बच्चे भी है। 1991 में उनके पति की हत्या कर दी गयी थी।

2005 से 2007 तक, तक दावूद के परिवार की सबसे प्रसिद्ध सदस्या थी, अपने भाई दावूद से मिलने के लिए कई बार धार्मिक यात्रा का बहाना कर वह दुबई भी जा चुकी है।

व्यक्तिगत रूप से, हसीना पारकर ने काफी कठिन परिस्थितियों का सामना किया है, 2006 में एक रोड एक्सीडेंट में उन्होंने अपने बेटे दानिश को खो दिया था। 1991 हसीना पारकर के पति इस्माइल पारकर का खून होने के बाद, दावूद ने भारत में खून के आरोप में शक के घेरे में आए सभी लोगो को मार गिराया था। अपनी बहन के पति की हत्या के खबर के बाद दावूद की क्रिमिनल गतिविधियाँ भारत में दिन प्रति दिन बढती जा रही थी। अंत में उन्होंने अरुण गवली की गैंग के सदस्य और इस्माइल पारकर की हत्या करने वाले को मार गिराया।
केसवानी ने उस समय हसीना पारकर पर लगे केस को “नेतृत्वहीन” बताया। मीडिया के सामने आने के बाद उन्होंने बताया की पासपोर्ट से संबंधित जानकारी के लिए वह पाकिस्तान गयी थी और इस प्रकार की कई कहानियाँ उन्होंने मीडिया को सुनाई। कुछ लोगो के अनुसार इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ लॉकआउट करने के आदेश जारी कर दिया था। लेकिन इसके बाद ज्यादातर समय तक वह नागपाडा में ही रही।

सूत्रों के अनुसार, हसीना पारकर रमजान का उपवास कर रही थी । रविवार की दोहपर, उनके रिश्तेदारो ने बताया की वह मृत्यु के कुछ समय पहले उल्टियाँ भी करने लगी थी। इसके बाद तक़रीबन 2.45 PM के आस-पास उन्हें एक ह्रदय विकार आया और इसके तुरंत बाद उन्हें हबीब हॉस्पिटल. बायकुल्ला ले जया गया लेकिन वहाँ इलाज के दौरान आधे घंटे में ही उनकी मृत्यु हो गयी।

उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही पूरा परिवार सहम उठा था और नागपाडा इलाके के लोग भी उनके अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़े थे। देर रात पारकर को दफनाया गया था।

लोग अक्सर उन्हें “अंडरवर्ल्ड की माँ” कहकर बुलाते थे और वही एक ऐसी महिला थी जो भारत में दावूद की क्रिमिनल गतिविधियों को भारत में अंजाम देती थी, दावूद के हवाला और गैरकानूनी जमीनी सौदों को वही अंजाम देती थी। नागपाडा के पुलिस ठाणे ने भी उनपर कई केस और शक की नजर में होने की वजह से रोज ठाणे में हजेरी लगाने के लिए कहा था।

आज भी नागपाडा के लोग उनका नाम सुनकर काँपने लगते है।

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