क्यों अपने हुए पराये

आज कल हमारे देश में रोहिंग्या मुसलमानों को  लेकर चर्चा जोरो पर है। सरकार ने जब से देश से रोहिंग्या मुसलमानों को डिपोर्ट करने की बात की है तब से देश दो तरह की विचारधाराओं में बटा हुआ नजर आ रहा है। कुछ लोग रोहिंग्या मुसलमानों को देश में रहने देने के पक्षधर हैं तो कुछ लोग उन्हें देश से बाहर भेजे जाने के समर्थक हैं। सब अपनी अपनी विचारधारा को अपने अपने तर्को और तथ्यों से सही साबित करने में लगे हैं पर  चलिए देश का हर बुद्धिजीवी वर्ग इस विषय पर कम से कम बोल तो रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों का दर्द देश में सब को दिख रहा है ये अच्छी बात है पर बुरा तब लगता है जब हम अपनो के दर्द पर आंखे मूंद लेते हैं, कान हमारे बहरे हो जाते है और जुबान पर ताले लग जाते हैं। अगर पडोसी के दुख में दुखी होना इंसानियत है तो अपनो के दर्द को समझना भी तो उतना ही जरूरी है। दूसरे देश से आए लोगों की हक की बात तो हम करते है पर आपने ही देश में सालों से शरणार्थी की तरह जीवन बिता रहे कश्मीरी पण्डितों को भूल जातें हैं। अपनो के लिए हमारा ये  सौतेला वर्ताव क्यों ? क्यों हमें सिर्फ एक विशेष धर्म का ही दुख दिखाई देता है। दर्द तो दर्द है, अगर  हमारे ये आंसू सिर्फ एक जाती विशेष के तुष्टीकरण के लिये बहते हैं तो इसे इंसानियत का नाम तो नहीं दे सकते। इन बुद्धिजीवियों का ये दोहरा वर्ताव ही इन्हे शक के दायरे में लाकर खडा कर देता है।
                             
रोहिंग्या मुसलमानों के साथ बहुम जादति की जा रही है इससे मैं इंकार नहीं कर रही पर ये हो क्यों रहा है ये भी सोचने वाली बात है वो भी उन लोगों के द्वारा जो पूरी दुनिया में अपनी अहिंसा और मानवता वादी सोच के लिये जाने जाते हैं। क्यों वो अचानक से किसी के खून के प्यासे हो गये इस पहलु पर भी हमें विचार करने की जरूरत है। बांग्ला देश से वर्मा में जाकर बसे इन रोहिंग्या मुसलमानों का मूलतः अपना कोई देश नहीं है वो रहते तो हैं वर्मा में पर वर्मा इन्हे अपना नागरिक नहीं मानता 1982 में वर्मा के कानून में सिटिजनशिप एक्ट में हुए परिवर्तन के कारण उनकी नागरिक्ता खत्म हो गयी तब से मूल रूप से रोहिंग्या मुस्लिम किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं। इसके अलावा रोहिंग्या मुसलमानों का अतीत और वर्तमान कभी भी विश्वसनीय नहीं रहा है। वर्मा में इनके द्वारा चलाया जा रहा आराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी नाम का आतंकी संगठन भी है जिसकी फंडिंग सऊदी अरब से होती है इसका मतलब है कि आप  दूध के धुले तो नहीं हो।लेकिन इसका ये अर्थ बिलकुल भी नहीं है कि हर रोहिंग्या मुस्लिम आतंकवादी है पर गेहूं की वजह से घुन तो पिस्ता ही है और शायद इस लिए ही इन्हे देश की सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है।
 सरकारी आंकडों के अनुसार भारत में लगभग 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान हैं पर वास्तविक तौर पर यह आंकडा लाखों से ज्यादा है। चिंता की बात तो ये है कि कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाके में इनकी संख्या कई हजर में है जो देश के लिये सुरक्षा की नजरो से बिलकुल भी ठीक नहीं है। रोहिंग्या मुस्लिमों के लिये संदेह तब और बढ जाता है जब  मुसा जैसे आतंकी संगठन इनकी पैरवी करते नजर आते हैं। खैर सरकार द्वारा रोहिंग्या मुसलमानो का मुद्दा उठाये जाने से एक बात तो बहुत अछी हुई है कि जो लोग कल तक अपनी पूरी ताकत से ये बोल रहे थे कि इस देश में मुस्लिम खुद को असुरक्षित  महसुस कर रहे हैं वो ही आज सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को देश में रहने देने के पक्ष में बोल रहें हैं इससे एक बात तो साफ हो गयी की भारत में मुस्लिम पुरी तरह से सुरक्षित  हैं अगर नहीं हैं तो वो उन्हें एक एसे देश में रखने के पक्षधर कैसे हो सकते है जहां वो खुद को सुरक्षित महसुस ही ना कर रहे हों।
 रोहिंग्या मुसलमानों को देख कर हमारे मुस्लिम भाईयों को ये तो समझ आ जाना चलिए  की असुरक्षा  किसे कहते है। 10 सालो तक दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र के दूसरे सबसे बडे पद पर आसीन रहने के बाद भी उन्हे एसा लगता है कि इस देश के मुस्लिम खुद को असुरक्षित  महसुस करते है या फिर देश के सबसे बडे सुपर स्टार को एसा लगता है कि  वो और उनका परिवार भारत में सुरक्षित  नहीं है तो उन्हें एक बार रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में जरूर सोचना चाहिये। असुरक्षा क्या होती है , डर किसे कहते हैं और अपने देश की क्या अहमियत होती है इन बातों को अगर जानना हो तो एक बार किसी रोहिंग्या मुसलमान से जरूर मिले। इसके बाद यकीन मानिये आप हिंदुस्तान में हैं और ये हिंदुस्तान आपका है इस बात का अभिमान आपको जरूर होगा।

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