जाने बाबा राम रहीम का पूरा सच

पिछले दिनो बाबा राम रहीम को सी बी आई कोर्ट द्वारा मुजरिम करार दिये जाने के बाद से उनके समर्थकों द्वारा देश में उपद्रव का माहौल बनाने की कोशिश की गयी। इस घटना में तकरीबन 38 लोगों ने अपनी जान गवाई है। पंजाब, हरियाणा के कई जगहो पर अभी भी कर्फ्यू का माहौल बना हुआ है। 28 तारीख को कोर्ट उनपे साबित हुए जूर्म की सजा भी सुना देगी। इस जर्म के लिये उन्हें  न्यूनतम 7 साल की या अधिक्तम आजीवन कारावस की सजा हो सक्ती है। पिछले तीन दिनो से मै इस विषय पर कुछ लिखना चाह रही हूं पर समक्ष नहीं आ रहा की कहां से शुरू करू। इस विषय से मेरा जुडाव इस लिये भी अधिक है क्यों की बाबा राम रहीम के शहर सिरसा से मेरा बहुत पुराना और गहरा रिश्ता है। मैने अपने जीवन की लगभग सम्पूर्ण शिक्षा इसी शहर से ली है। तो जाहिर सी बात है कि डेरा सच्चा सौदा में मेरा जाना भी कई बार हुआ है। उस जगह को मैने बहुत करीब से देखा है। बहुत से डेरा प्रेमी मेरे दोस्त भी हैं और जानकार भी इस लिये इस मुद्दे से जुडी कुछ बाते हैं जो मै आपसे  साझा करना चाहती हूं। डेरा सच्चा सौदा में तकरीबन 5 करोड लोगों की आस्था जुडी है और ये आस्था सिर्फ डेरा प्रमुख गुरू राम रहीम जी की वजह से नहीं है बल्कि  इसके पीछे बरसों का संघर्ष और पूराने गुरूओं की मेहनत भी  जुडी है।
डेरा सच्चा सौदा को समक्षने के लिये उसके इतिहास को जानना बहुत जरूरी है। 1948 में  बलूचिस्तान (पाकिस्तान)से आये मस्ताना बलूचिस्तानी ने डेरा सच्चा सौदा की नीव रखी। उनकी मृत्यु के बाद इस गद्दी के मालिक बने साह सतनाम जी और उन्होने अपनी मृत्यु से पहले 26 सितंबर 1990 को अपनी गद्दी का वारिस बनाया गुरमीत राम रहीम सिंह जी को और ये सच है कि पिछले 27 सालों से डेरा प्रमुख राम रहीम सिंह जी ने इस डेरे को प्रसिद्धि के उस शिखर तक पहुंचाया है जहां किसी ने कल्पना नहीं की होगी। डेरा प्रेमियों के लिये वो  इंसान के रूप में देवता हैं लोगो का उन्के प्रति विश्वास की वो प्रकाष्ठा है जहां उनका  विश्वास कब अंधविश्वास में बदल जाता है उन्हे पता ही नहीं चलता और इसी का परिणाम हमें पंचकुला की सडकों पर देखने को मिला। जिस व्यक्ति को देश की अदालत ने दोशी करार दे दिया पर फिर भी उनके अनुयायी उसे मानने से इंकार कर रहे हैं खैर उनके मनने या ना मानने से सच तो बदल नहीं जाएगा। जो व्यक्ति कानून की नजर में दोषी है उसे कम से कम हम तो दोषी ही मानते है। इस फैसले के आने के बाद ये बात तो साफ हो गयी की आप चाहे कितने बडे व्यक्ति हों इस लोकतंत्र में सब के लिये समान कनून व्यवस्था है और हमारे देश की न्याय  पालिका इतनी मजबूत है कि यहां हर व्यक्ति को इंसाफ देेर से ही सही पर मिलता जरूर है। 15 साल चले इस लम्बे संघर्ष के बाद आखिर सच की जीत हुई।
गुरमीत राम रहीम जी के बारे में अगर बात करू तो सबसे पहली चीज जो मेरे जेहन में आती है वो है उनके साथ मेरी पहली और आखरी मुलाकात। जी हां एक बार मुझे भी उनसे मिलने का सौभाग्य या इत्तफाक प्राप्त हुआ था।  हलाकि मैं कोई डेरा प्रेमी नहीं हूं लेकिन एक पत्रकार की हैसियत से उनके साथ मेरी मुलाकात हुई थी। पत्रकारो के साथ उनका एक खास लगाव था इस लगाव की वजह क्या थी ये बताने की जरूरत नहीं है।
गुरमीत राम रहीम के जीवन के दो  पहलू थे एक तो अध्यात्मिक जिसमें अध्यात्म दूर-दूर तक नजर नहीं आता था दूसरा समाजिक जिसमें उन्हो ने काफी बढ चढ कर काम किया है। उनके द्वारा अच्छे कामों की अगर लिस्ट बनाई जाए तो फैरिस्त बहुत लम्बी होगी। उन्होने समाज के निचले  तप्के को अपने साथ जोडा और उन्हें भी श्रेष्ठ होने का गौरव दिया और शायद इसी लिये आज उनके अनुयायी उनके लिए मरने और मारने के लिए तईयार है। पर जहां इतने लोग उन्हें चाहने वाले है वहीं कुछ लोग उनके चरित्र और व्यक्तित्व पर उंगली उठाते हैं। बहुत से लोग एसे है जो कहते है कि गुरू जी की वजह से हमारा घर बसा है तो वहीं एसा कहने वाले लोग भी है कि उनका घर गुरू जी ने ही उजाड दिया। हां उनके खिलाफ उठने वाली आवाज बहुत कम है पर इतनी बडी सत्ता के खिलाफ बोलना सब के बस की बात भी तो नहीं है फिर भी इस सत्ता को चुनौती भी मिली और हार भी और यही कारण है कि गुरमीत राम रहीम के उपर रेप से लेकर मडर तक के संगीन अपराघ दर्ज है। जिसमें रेप का फैसला तो आ गया है और वो  कोर्ट के द्वारा दोषी करार दिये जा चुके हैं और अब बहुत जल्द मडर केस का फैसला भी आने वाला है। ना जाने धर्म के नाम पर बाबाओं द्वारा लोगो को  बेवकूफ बनाने का ये सिलसिला कबतक यू ही चलता रहेगा। अब लोगो को खुद अपने  विश्वास और  अंधविश्वास  में फर्क करना  सीखना पडेगा नहीं तो वो इसी तरह हर बार आस्था के नाम पर ठगे जाते रहेगें। 

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